राजस्थान पुलिस मित्र योजना

पुलिस मित्र योजना का उद्देश्य ऐसे स्व प्रेरित व्यक्तियों को जोड़ना है जो पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सामाजिक व जनहित के कार्यों में पुलिस के सहभागी के रूप में कार्य करें। पुलिस मित्र योजना से जनता व पुलिस के बीच सामंजस्य व समन्वय की स्थापना होगी जिससे एक भयरहित, अपराध मुक्त समाज की स्थापना में गति व निरंतरता बनी रहेगी। 
परिचय

पुलिस मित्र योजना के तहत कोई भी भारतीय नागरिक जो राजस्थान में निवासरत है आवेदन कर सकता है। आवेदन पत्र में 24 दिए हुए क्षेत्रों में से ऐसे क्षेत्र चुने जा सकते हैं जिनमें वह अपना योगदान देना चाहता है। इस हेतु राजस्थान पुलिस वेब पोर्टल पर आवेदन किया जा सकता है। 

आवेदक राजस्थान पुलिस वेब पोर्टल पर जाकर पुलिस मित्र के लिंक पर क्लिक करें। ऐसा करने पर पुलिस मित्र का आवेदन पत्र खुल जाएगा। आवेदन पत्र में विवरण भरने के पश्चात सेव के ऑप्शन पर क्लिक करें ऐसा करने पर स्वतः ही आवेदन पत्र संबंधित थाना अधिकारी के पास पहुंच जाएगा। थानाधिकारी वेब पोर्टल पर अपनी आईडी से लोगिन कर आवेदन पत्र देखेंगे और थाने के रिकॉर्ड से आवेदन में भरे गए विवरण का सत्यापन करेंगे। सही पाए जाने पर आवेदन पत्र को थाना अधिकारी द्वारा स्वीकार किया जाएगा। आवेदन पत्र स्वीकार होते ही आवेदक के पास मैसेज के द्वारा सूचना पहुंच जाएगी। और वह राजस्थान पुलिस मित्र के रूप में अपनी सेवाएं दे सकेगा। 

RTI से खुला बड़ा राज

आरटीआई एक्टिविस्ट ताराचन्द खोयड़ावाल ने हाल ही में एक आरटीआई दाखिल की, जिसमें जिला स्तर पर आवंटित विकास फंड की जानकारी मांगी गई।

Breaking: विभाग ने 15 दिनों तक कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद फर्स्ट अपील की गई।

क्यों मच गया हड़कंप?

सूचना में ऐसे दस्तावेज मांगे गए थे जो सालों से सार्वजनिक नहीं किए गए थे। इसमें ग्राम पंचायतों को भेजे गए फंड की पूरी डिटेल शामिल थी।

Fact: भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा RTI आवेदन दायर किए जाते हैं।

कौन जिम्मेदार?

सूत्रों के मुताबिक, संबंधित विभाग के अधिकारियों ने खुद इस जानकारी को रोकने की कोशिश की।

Alert: RTI के जवाब में देरी करना सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का उल्लंघन है।

RTI एक्टिविस्ट का कहना

"सच्चाई को सामने लाना ही हमारा मकसद है। अगर सिस्टम में पारदर्शिता नहीं होगी तो जनता का भरोसा भी टूटेगा।"

आगे क्या?

RTI की दूसरी अपील की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगर समय पर जवाब नहीं मिला तो SIC (State Information Commission) में केस जाएगा।

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