कालाराम मंदिर के प्रवेश हेतु बाबा साहब व दलितों के संघर्ष

         हाराष्ट्र के नासिक जिले में कालाराम का एक प्रसिद्द मंदिर है | उस समय इस मंदिर में अछूतों का प्रवेश निषेध था |
           2 मार्च 1930 को गाँधी ने दांडी मार्च आरम्भ करने की घोषणा की | डॉ अम्बेडकर ने ठीक उसी दिन कालाराम मंदिर में अछूतों को प्रवेश दिलाने के लिए सत्याग्रह का सुभारम्भ कर दिया | गाँधी देश की आजादी के लिए आन्दोलन कर रहे थे | डॉ. अम्बेडकर अपने ही देश के वंचितों को सामाजिक अधिकार दिलाने  के लिए संघर्ष कर रहे थे |
           मंदिर प्रवेश को लेकर  डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक आम सभा हुई | इसके बाद सभा जुलुस के रूप में मंदिर की और बढ़ी | पूरा जुलुस अनुशासित था, जैसा की महाड़ जल ग्रहण के समय था | इस बार नवाचार था | आगे-आगे बैंड बाजा बजता जा रहा था | पीछे-पीछे औरतें गीतों की लय दिए जा रही थी | उत्साही युवक , डॉ. अम्बेकर जिंदाबाद ! महात्मा फुले अमर रहे !! के गगनभेदी नारे लग रहे थे |
          अछूत लोग हृदय में मंदिर प्रवेश की उमंग लिए मंदिर की और बढ़ रहे थे | अछूतों को मंदिर में नहीं करने देने के लिए आमादा लोगों ने मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए | पुलिस का सशस्त्र पहरा लग गया | डॉ. अम्बेडकर व उनके अनुयायी मंदिर के बहार प्रवेश के अधिकार हेतु धरने पर बैठ गए | दोनों पक्ष की इस कशमकश में 1 महिना बीत गया |
           रामनवमी आई |इस दिन कालाराम की मूर्ति को रथ में सजाकर जुलुस निकलने का रिवाज  था | सिटी मजिस्ट्रेट की मध्यस्थता में एक समझोता हुआ , सवर्ण व अछूत दोनों रथ खींचेंगे | डॉ. अम्बेडकर को यह बात जंच गई | जब भगवान् के रथ को ही स्पर्श कर लिया तो मंदिर – प्रवेश वाली बात स्वतः ही हल हो जाएगी |
           रुड़ीवादी लोग इस समझोते असफल करने की साजिश में थे  | अछूतों के साथ-साथ डॉ. अम्बेडकर को भी सबक सिखाने की योजना बना ली गई थी | दलित नेता दादा साहेब गायकवाड ने नेतृत्व कर रहे डॉ. अम्बेडकर के कान में कहा “आपका जीवन खतरे में है | आप यहाँ से फ़ौरन चले जाईये” गाडी खड़ी है |
           डॉ. अम्बेडकर शेर-ए दिल मानव थे | निडरता का भाव चेहरे पर लिए वे बोले “आप मुझे गलत सलाह से रहें हैं” गायकवाड जी मैं एक बहादूर सैनिक का बीटा हूँ | कायर नहीं हूँ | मेरा चाहे जो हो , मै मौत के भय से यहाँ से हट नहीं सकता | दूसरों की जान खतरे में डालकर अपनी जान बचाने वालों में से मै नहीं हूँ |
          सुनियोजित योजना के अनुसार सवर्णों ने ऐन वक्त पर उस समझौते को भंग कर दिया | रथ को खींचने वाले अछूतों को भी ठोका-पीटा गया , सत्याग्रहियों को भी लाठी तथा पत्थर-भाटों से लहुलुहान कर दिया | छतों से ईंट पत्थर बरसाए गए | डॉ अम्बेडकर एक छाता ताने हुए खड़े थे | उनको निशाना बनाया गया कपडे का छाता पत्थरों की चोट से फट गया | डॉ. अम्बेडकर को भी चौटें आई | खून बह निकला | वे अछूतों के प्रिय नेता थे | लोगों ने जान पर खेल कर उनकी सुरक्षा की | कट्टरपंथियों व अछूतों में डटकर संघर्ष हुआ | जड़त्व और परिवर्तन के बीच यह पहला संघर्ष था |
           परिणाम निकला की कलेक्टर ने रथ यात्रा स्थगित कर दी एक वर्ष तक मंदिर के द्वार पर ताला पडा रहा | 5 वर्ष मुक़दमेबाजी हुई | डॉ. अम्बेडकर के अथक प्रयास से अक्तूबर 1935 को मंदिर प्रवेश का एक क़ानून बना और कालाराम मंदिर के दरवाजे सब के लिए खुल गए | महाड़ जल सत्याग्रह के उपरान्त नासिक के कालाराम मन्दिर में प्रवेश पाने के अधिकार अछूतों की यह दूसरी महत्वपूर्ण विजय थी | विजय का श्रेय दलितों के हृदय सम्राट डॉ. अम्बेडकर को जाता है |   



डॉ. अम्बेडकर ने रुपये की समस्या,बहिस्कृत भारत” नामक पाक्षिक पत्र ,“बम्बई प्रांतीय अस्प्रश्य परिषद्”,“दलित जाति परिषद” का अधिवेशन और महाड़ गाँव के तालाब से पानी लेने का अधिकार दिलाने के जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये |

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