अछूतों के
नेता डॉ. अम्बेडकर भला कब तक चुप्पी लिए रहते | उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए
कहा , प्रधानमन्त्री जी और मित्रों ! अछूतों की समस्या मैंने पहली गोलमेज कांफेंस
में रख दी थी | अब तो मुझे दूसरी कांफ्रेंस में यह कहना है की “प्रत्येक दल के
प्रतिनिधि यहाँ मौजूद हैं | उन्हें अपने-अपने दल की समस्या खुद पेश करनी चाहिए |
अब तो कमेटी को मात्र इस बात पर गौर करना है की प्रत्येक स्थान में अछूतों का कम
से कम कितना प्रतिनिधित्व रहेगा, दूसरी बात यह की किसी भी अल्पसंख्यक को अपने
अधिकार इस प्रकार नहीं रखने चाहियें , जिनकी पूर्ति अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों
को कम करके होती हो | यदि इस प्रकार का कोई समझौता कोंग्रेस या कोई अल्पसंख्यक
करेगा तो वह किसी अल्पसंख्यक या मुझ पर कतई लागू नहीं होगा |
डॉ.
अम्बेडकर के इस भाषण का गोलमेज कोंफ्रेंस के सदस्यों पर अच्छा प्रभाव पडा |
डॉ. अम्बेडकर ही अछूतों के सच्चे व एक मात्र प्रतिनिधि है
इस आशय के हजारों तार ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के नाम थे |
दूसरी
गोलमेज की कोंफ्रेंस की बैठक 7 सितम्बर को फिर शुरू होकर 1 दिसंबर 1931 को समाप्त
हो गई , परन्तु आपस में कोई समझौता नहीं हो सका | अल्पसंख्यक कमेटी के अध्यक्ष
ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड थे उन्होंने प्रतिन्धियों के सामने अपना
सुझाव रखा – क्या आप में से प्रत्येक सदस्य एक प्रार्थना पत्रपर हस्ताक्षर करके
मुझे यह दरख्वास्त करने के लिए तैयार हैं की मई आप लोगों की साम्प्रदायिक समस्या
का हल निकालने का प्रयत्न करूँ | किन्तु मेरे निर्णय को मान लेने के लिए आप सब
बाध्य होंगे | मैसमझता हूँ , यह एक अच्छा प्रस्ताव है |
सभी
प्रतिनिधियों का हस्ताक्षरशुदा कागज़ प्रधानमन्त्री को सौंप दिया गया | दूसरी
गोलमेज सम्मलेन की विधिवत समाप्ति की घोषणा हो गई |
डॉ.
अम्बेडकर 3 दिसंबर को लन्दन से अमेरिका गए और वहां से वापस लौटकर लन्दन से 29
जनवरी 1932 को बम्बई पहुंचे | यहाँ पहुँचने पर उनका नागरिक अभिनन्दन किया गया और
मौलाना सौकत अली के साथ जुलुस निकला गया | यह एक अनूठी और अविस्मरिणीय घटना थी
सवर्ण
नेता डॉ. मुंजे और अछूत नेता एम.सी. राजा को केंद्रीय असेम्बली के सदस्य भी थे ,
दोनों के बीच समझौता हुआ जिसमे अछूतों के लिए संयुक्त चुनाव और संरक्षित सीटों की
शर्त थी | अछूतों के शिरोधार्य डॉ. अम्बेडकर को इससे अलग रखा गया | इसके पीछे डॉ
कारण थे | अछूतों के वास्तविक अधिकारों को हजम कर लिया जाये , डॉ. अम्बेडकर की
बढती लोकप्रियता को रोका जाये | इस समझौते के विरोध में जगह-जगह सम्मलेन आयोजित
हुए और बैठकें हुईं | अछूतों ने ऐसे किसी समझौते को मानने से इनकार कर दिया जो डॉ.
अम्बेडकर की अनुपस्थिति में हुआ हो , इसका परिणाम यह हुआ की राजा-मुंजे पैक्ट
जन्मते ही दफ़न हो गया |