बौद्ध
धम्म
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बौद्ध धम्म की वजह से सामाजिक क्रान्ति हुई
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बुद्ध ने जातिप्रथा के विरुद्ध केवल प्रचार ही नहीं किया अपितु तथाकथित शुद्र
तथा निम्न जाति के लोगों को भिक्खु का दर्जा दिलाया |
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दुःख निवारण के लिए बौद्ध धम्म का मार्ग ही सुरक्षित है मार्ग है | बौद्ध धम्म
पूर्णता भारतीय है बह्ग्वान बुद्ध न केवल भारत के उद्धारक थे बल्कि सम्पूर्ण
मनावता के उद्धारक थे |
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बौद्ध धम्म स्वतंत्रता समानता और भातृत्व-भाव के बुनियादी सिद्धांतों को
मान्यता देता है |
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धम्म गरीबी को न तो पवित्र मानता है, न उसकी प्रतिष्ठा बढाता है |
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धर्म की बाबत सबसे ज्यादा हानिकारक धारणा यह है की सभी धर्म सामान रूप उत्तम
है और उनमे भेद करने की कोई आवश्यकता नहीं है | इससे बड़ी गलती कोई दूसरी नहीं हो
सकती |
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बौद्ध धम्म के सांस्कृतिक आन्दोलन को कुंद व धूमिल करने के लिए ब्रहामणों ने
भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार बना डाला यह षड़यंत्र पागलपन के सिवाय कुछ नहीं है
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संसार के कष्टों व दुखों का निराकरण करने के लिए बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग
निर्धारित किया | इस अष्टांगिक मार्ग तत्व इस प्रकार हैं
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अष्टांगिक मार्ग -- अष्टांगिक मार्ग
के आठ उपाय
(1) सम्यक-दृष्टि
:- वस्तुओ के वास्तविक रूप का ज्ञान ही सम्यक-दृष्टि है।
(2) सम्यक-वाक :- वचन की पवित्रता ही
सम्यक-वाक है।
(3) सम्यक-कर्मान्त :- दान,दया,सत्य
अहिंसा आदि सत्कर्मो का अनुसरण
करना ही सम्यक-कर्मान्त है।
(4) सम्यक-व्यायाम
:- नैतिक,मानसिक
एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए
सतत प्रयत्न करते रहना ही सम्यक-व्यायाम है।
(5) सम्यक-आजीव
:- उचित ढंग से "जीविकोपार्जन" करना चाहिए।
(6) सम्यक-स्मृति
:- अपने विषय मे सभी प्रकार की मिथ्या धारणाओं का
त्याग कर सच्ची धारणा रखना ही सम्यक-स्मृति
है।
(7) सम्यक-संकल्प
:- द्वेष तथा हिंसा से मुक्त विचार रखना ही सम्यक-
संकल्प है
(8) सम्यक-समाधि :- चित्त की एकाग्रता
ही सम्यक-समाधि है इस अष्टांगिक मार्ग का उद्धेश्य पृथ्वी पर
धर्मपरायण तथा न्यायसंगत राज्य की स्थापना कर संसार के दुःख तथा
विव्वादों को मिटाना है
· इस देश में धम्म कार्य को करने के
लिए लिए भिक्खुगण नहीं है इसलिए
आप में
से हर एक को बौद्ध धम्म की दीक्षा लेनी है बौद्ध धर्मावलम्बी व्यक्ति द्वारा अन्य
लोगों को भी यह दीक्षा देने का अधिकार है |
· बौद्ध धम्म की दीक्षा लेने के बाद
हिन्दू धर्म के विचार और हिदू देवी – देवताओं को बौद्ध धर्म में नही लायें |
· जिस प्रकार गन्ना जड़ में भी मीठा
होता है मध्य में भी मीठा होता है एवम् टोक पर भी मीठा होता है, उसी प्रकार बौद्ध
धम्म प्रारम्भ में भी कल्याणकारी होता है मध्य में भी कल्याणकारी होता है तथा अंत
में भी कल्याणकारी है इस धर्म का आदि, मध्य और अंत सभी हितकारी है तथा कल्याणकारी
है |
· मुझे धम्म चाहिए परन्तु धम्म का
ढोंग नहीं |
· बौद्ध संघ नियम जानता था और उन
नियमों का पालन करता था | बैठने की व्यवस्था, प्रस्ताव रखने के नियम, निर्णय, कार्यवाही
प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक गणपूर्ति, पार्टी की और से आदेश जारी करना, मतपत्र
द्वारा मतदान करना, मतगणना, आपात सुचना, नियमितता, न्याय व्यवस्था इत्यादि नियम उनके
पास थे |
धार्मिक मतभेद
· सभी धर्मों में आपस में बहुत साड़ी बातों पर मतभेद और वाद-विवाद है | वे सब इस
बात पर भी सहमत नहीं हैं की स्वर्ग-नरक, आत्मा-परमात्मा, मोक्ष और परलोक में
पहुँचने का एक ही रास्ता है सभी अलग-अलग व्याख्या देतें हैं
धार्मिक प्रचार
· प्रत्येक धर्म को धन दौलत और प्रचार ही जीवन देते हैं, उनके अतिरिक्त कोई
दैवीय या अलौकिक शक्ति नहीं, जो धर्म को जिन्दा रख सके |
· धम्म प्रचार का कार्य बिना मनुष्यों और बिना धम्म के संभव अनहि है
एक अच्छा
बौद्ध होना ही किसी का कर्तव्य नहीं है | बल्कि उसका
कर्तव्य
है की वह बौद्ध धम्म का प्रचार भी करे | उन्हें यही मानना होगा
की वह बौद्ध धम्म का प्रचार करना ही वास्तविक मानवता का सेवा
करना है बौद्धों को अपना स्वार्थ त्यागकर अपनी कमाई का 5 प्रतिशत
हिस्सा धम्म के लिए दान करना चाहिए |
· बौद्ध धम्म का प्रचार – प्रसार करना प्रत्येक बौद्ध का कर्तव्य है इस बात सभी
बौद्धों को याद रखना चाहिए
· बौद्धों का कर्तव्य है की प्रत्येक रविवार को बौद्ध विहार में जाएँ | अन्यथा उन्हें धम्म का ज्ञान नहीं होगा |
· बौद्ध धम्म का प्रचार करना अर्थात मानव सेवा करना है इस विश्वास को मन में रखकर
कार्य किया तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी |