मनुष्य को बौध धम्म की जरुरत क्यों है?


                    धम्म/धर्म

1. आर्थिक प्रगति का विरोधी नहीं हूँ |  गरीबों का जीवन कितना कष्टमय होता है,        

       इसका मुझे अनुमान है | किन्तु आर्थिक उन्नति के साथ मानसिक उन्नति भी उतना  
        ही महत्वपूर्ण है | और धम्म ही उसका सबसे उत्तम मार्ग |
2. मनुष्य मात्र के विकास के लिए धम्म की आवश्यकता है,  ऐसा मेरा मत है | शरीर
      के साथ मनुष्य के पास दिमाग भी है | जैसे शरीर का पोषण किया जाता है उसी
    तरह दिमाग भी सचेत,सुसभ्य,सम्यक,तथा स्वास्थ्य होना चाहिए |
3. जो धर्म हमारी चिंता नहीं करता उस धर्म की हम भी चिंता क्यों करें?
4. केवल जिन्दा रहने की कोई कीमत नहीं इंसान इज्जत के साथ जी रहा है या नहीं
   बात का महत्व इस बात का है |
5. धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिए नहीं |
6. सम्मान प्राप्त करना है धर्मांतरण करना जरुरी है |
7. संगठन बनाना है तो धर्मांतरण करना जरुरी है |
8. समता प्राप्त करनी है तो धर्मांतरण करना जरुरी है |
9. स्वतंत्रता प्राप्त करनी है तो धर्मांतरण करना जरुरी है |
10. जो धर्म तुम्हे इंसान नहीं समझता उस धर्म में रहना भी गलत है |
11. जो धर्म तुम्हे शिक्षा नहीं लेने देता हो उस धर्म में तम्हे रहने से क्या फायदा तुम
   उस धर्म में क्यों रहते हो |
12. जो धर्म पग-पग पर तम्हे अपमानित करता हो उस धर्म में रहने से क्या फायदा |
13. जिस धर्म में मनुष्य के साथ मानवता से व्यवहार की करने की मनाही है वह धर्म
   नहीं अधर्म है |
14. जिस धर्म में पशु का स्पर्श ठीक है परन्तु मनुष्य का ठीक नहीं वह धर्म नहीं होकर
   पागलपन है |
15. जो धर्म एक वर्ण को कहता है विद्या प्राप्त नहीं करो धन संचय नहीं करो शस्त्र
   धारण नहीं करो वह धर्म नहीं होकर मनुष्य की विड़म्बना है | अशिक्षितों को
   अशिक्षित रहो निर्धन को निर्धन रहो ऐसा पाठ पढाता है वह धर्म नहीं सजा है |
16. चींटियों को शक्कर डालने वाले तथा मनुष्यों को पानी से भी प्यासा मार मारने लोग
   पाखण्डी है उनका साथ नहीं न दो |
17. हिन्दू जिसे धर्म कहतें है, वह सामाजिक आदशों और निषेधों का पुलिंदा है |
18. मुझे हिन्दू और हिन्दू धर्म से उब होती है तो इस लिए की मुझे विश्वास है की वे
   गलत सिद्धांतों और गलत सामाजिक जीवन का पोषण करते हैं |
19. धर्म विज्ञान और तर्क के अनुकूल हना चाहिए |
20. न तो ईश्वर और न ही आत्मा इस संसार को बचा सकता है |
21. ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने के लिए अस्तित्व, गुण,कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना
   ही देवताओं की रचना करके हंसी मजाक का विषय बना दिया |
22. इंग्लैंड में ब्राह्मण, शुद्र य अछूत कोई भी नहीं है रूस में वर्णाश्रम या धर्म या य
   भाग्य भी नहीं है, अमेरिका में लोग ब्रह्मा के मुख य पैरों से पैदा नहीं होते, जर्मनी
   भगवान खाना भी नहीं खाते हैं तुर्की में भगवान् की शादी भी नहीं करते, इन देशों
   लोग विद्वान व बुद्धिमान है वे अपना आत्मसमान खोना नहीं कहते है, वहां उनका
   ध्यान अपने अधिकारों व देश की सुरक्षा की और है हमारे देश बर्बर देवता और
   धार्मिक हठधर्मी क्यों चाहिए |
23. हमारे देश के लोगों ने शिष्टता और महत्व खो दिया है क्योंकि इनकी आदत मूर्ति य
   देवता की प्रसंशा करने की है और मनुष्य पशु की तरह साड़ी बातें मान रहा है |
24. हजारों सालों से चली आरही आप लोगों की दुखदाई  दुर्दशा का कारण क्या है ? आप
   लोगो के दुखों व दुर्दशा का कारण है हिन्दू धर्म यानी ब्राह्मण धर्म |
25. प्रार्थना क्या है? नारियल तोडना क्या है इसमें ब्राह्मणों को धन देना? ब्राह्मणों के
   पैरों में पड़ना होता है? क्या ए त्यौहार है? क्या ये भवन या मंदिर है? नहीं, यह सब
   कुछ भी नहीं है बस हम्रारे व्यवहार हैं | हमें बुद्धिमान लोगों की तरह व्यवहार करना
   चाहिए यही प्रार्थना का सार है |
26. आज के बाद “शुद्र” शब्द को इतिहास में जगह मत दो, हमें इस शब्द के लिए
   शब्दकोष व विश्वकोश में जगह है नहीं देनी चाहिए |
27. गरीबों की सहायता करके गरीबी दूर करने में सहायक हो सकते है | धर्म के नाम पर
   भण्डारे खाना बांटने से गरीबी दूर नहीं होगी |
28. धम्म एक सामाजिक शक्ति है |
30. यदि किसी विशेष समय, किसी विशेष समाज में सत्ता और प्रभुत्व का स्त्रोत
   सामाजिक अथवा धार्मिक है, तब सामाजिक व धार्मिक सुधार एक आवश्यक सुधार के
   रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए |
31. गांधी एक कट्टर सनातनी हिन्दू राजनीतिज्ञ थे |वे हिन्दू धर्म के दो बड़े स्तंभों – यानी
   ब्राह्मण व ब्राहमणवाद को गिरना नहीं चाहते थे बल्कि वें इनके प्रसंशक व संरक्षक
   भी थे |
32. हिन्दुओं की गिनती उन कपटी, दुष्ट व विश्वासघाती लोगों में की जा सकती है
   जिनकी कथनी-करनी में जमीन आसमान का अंतर है |
33. पढने की लालसा और धम्म का आचरण यह दोनों मेरे मानसिक शरीर की आँखें हैं |
34. हिन्दू लोगों की धर्म की व्याख्या बहुत निराली है | मंदिर में जाना, घंटा बजाना, पूजा
   करना और पुजारी को पैसे देना,बस इतना ही इनका धर्म है | जैसे की पुजारी के बाप
   का कर्जा चुकाना हो |
35. शंकर के नाम लोग प्रत्येक सोमवार को उपवास रखकर शंकर के पिंड को विविध
   प्रकार से पूजते हैं | शंकर का पिंड (लिंग) क्या चीज है, इसका किसी ने विचार किया
   है क्या? वह और नहीं होकर, स्त्री –पुरुष के सम्भोगक्रिया की प्रतिमा है |क्या इस
   तरह अश्लील प्रतिमा का हमें प्रचार करना चाहिए |
36. इस संसार में ईश्वर है या नहीं इसका विचार करने कोई आवश्यकता नहीं है | संसार
   में जो भी हलचल होती है वह सब इंसान ही करते हैं | स्वार्थी लोग दुसरे असंख्य
   लोगों को अज्ञान के अन्धकार में रखकर उन्हें ईश्वरके बारे में झूंठी कल्पनाओं के
   पीछे लगाकर और उनके धार्मिक भोलेपन का लाभ उठाकर अपना हित साधते हैं |
37. सभी मनुष्य एक ही मिटटी के बने हुए हैं और उन्हें यह अधिकार है की वे अपने
   साथ अच्छे व्यवहार की मांग करें |
38. अवतारवाद, स्वर्ग,नरक,भाग्य,भगवान, पुनर्जन्म सब काल्पनिक है |हमें इन्हें नही
   मानना चाहिए |
39. हिन्दू धर्म व जाति प्रथा से पूंजीवाद को बढ़ावा मिलता है |
   मैंने आपके लिए मकान का निर्माण कर दिया है अब यह आपकी जिम्मेदारी है की  
   आप इसे अच्छी दशा में बनाये रखें | 

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