विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम , 1987


विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम , 1987
समाज के कमजोर वर्गों को, यह सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक या अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त कर पाने से वंचित रह जाये , निशुल्क और सक्षम विधिक सेवा उपलब्ध कराने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है |जो विधिक सहायता के अलावा , सामान अवसर के आधार पर न्याय प्रदान करने लोक अदालतों द्वारा मामलों का निपटारा करेगा| जिसके अनुसार हर तालुका , जिला न्यायालय , उच्च न्यायालय , उच्चतम न्यायालय में विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है | जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को जिसे कोई मामला फाइल करना है या किसी मामले में बचाव करना है , इस अधिनियम के अधीन विधिक सेवा का हकदार सभी स्तरों पर होगा , यदि ऐसा व्यक्ति :--
(1) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य है,
(2) संविधान के अनु. 23 में यथानिर्दिष्ट मानव दुर्व्यवहार या बेगार का सताया हुआ है ,
(3) स्त्री या बालक है ,
(4) मानसिक रूप से अस्वस्थ या अन्यथा असमर्थ है ,
(5) अनुपेक्षित अभाव जैसे बहुविनाश, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़ सुखा, भूकंप या ओधोगिक विनाश की दशाओं के अधीन सताया हुआ व्यक्ति है ,
(6) कोई ओधोगिक कर्मकार है ,
(7) ऐसा व्यक्ति है , जो आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में आता है |
सम्बंधित तालुका , जिला न्यायालय , उच्च न्यायालय , उच्चतम न्यायालय में प्रार्थना पत्र देने पर सम्बंधित विधिक सहयता समिति उसके मामले में वकील नियुक्त कर निशुल्क कानूनी सहयता देगी|

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