राजस्थान टीनेंसी एक्ट, 1955

राजस्थान टीनेंसी एक्ट, 1955
धारा – 42 के अनुसार , खातेदार काश्तकार द्वारा अपने पिरे भूमि क्षेत्र में या उसके किसी भाग में अपने हित की बिक्री , दान (गिफ्ट ) या वसीयत शुन्य होगी यदि, उक्त बिक्री दान वसीयत अनुसूचित जाति का नहीं हो अथवा अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य द्वारा ऐसे व्यक्ति के पक्ष में में की गई हो जो अनुसूचित जनजाति का नहीं हो |
धारा – 183 कतिपय अतिकमियों की बेदखली
(1) इस अधिनियम के किसी उपबंध में कोई विपरीत बात अंतर्विष्ट होते हुए भी कोई अतिकृमि जिसने भूमि को कब्जे में बिना वैध अधिकार के ले लिया है या रखा है , उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों के वाद पर जो उसे आसामी के रूप में  बेदखली करने के हकदार हैं , उपधारा –(2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए बेदखली का भागी होगा और साथ ही प्रत्येक कृषि वर्ष जिसमें उसने पुरे वर्ष या कुच्छ भाग में इस प्रकार कब्जा रखा हो , के लिए शास्ति के तौर पर ऐसी रकम देने का भी भागी होगा जो वार्षिक लगान के पंद्रह गुने तक हो सकती है |
(2) ऐसी भूमि जो सीधे राज्य सरकार से लेकर धारण की हुई हो या जिस पर राज्य सरकार तहसीलदार की मार्फ़त अतिक्रमी को आसामी के रूप में स्वीकार करने का हकदार है , तहसीलदार राजस्थान लैण्ड रेवेन्यु एक्ट , 1956 की धारा 91 के उपबंधों के अनुसरण में कार्यवाही करने को अग्रसर होगा |

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