आर्थिक विकास कैसे संभव है पढ़ें


आर्थिक रुपरेखा
   बसे पहले विश्व की अन्य महान शक्तियों की तुलना में भारत की आर्थिक स्थिति के विश्लेषण से आरम्भ करते हैं | हमें पता चलता है की पिछले दशक में भारत की विकास दर उल्लेखनीय रूप से उच्च रही हैं, जो आर्थिक उदारीकरण के समय से मेल खाती हैं | महत्वपूर्ण बात यह है की हमारी विकास दर कई अन्य देशों से ऊँची है |
     जबकि अमेरिका, जर्मनी, तथा जापान के बीच भारत पूर्ण सकल घरेलु उत्पाद के अर्थों से तेजी से आगे बढ़ रहा है, अमेरिका संपन्नता के मामले में सबसे आगे है | हमारा उद्देश्य यह कल्पना करना नहीं है की हम की हमें अगले दशक तक या इतने समय तक हमें अमेरिका से आगे निकल जाना है | हमें अपने कल्याण का उत्तरदायित्व लेने और अपनी विरासत, मूल्यों और क्षमता के अनुरूप अपने समाज को विकसित करने की आवश्यकता है | हमें उंचा लक्ष्य रखने और उसके लिए मेहनत करने की जरुरत है |
    एक अन्य आर्थिक संकेतक है प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद | चीन की तुलना में हमारा प्रति सकल घरेलु उत्पाद कम है इसका प्रमुख कारण था विकास प्रक्रिया आरंभ होने में विलम्ब | चीन ने लगभग 2 दशक पहले विकास प्रक्रिया शुरू की थी और उनका निवेश काफी उच्च था यह हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए, क्योंकि हमारी जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा सम्पूर्ण देश के लगभग 6 लाख गांवों में रहता है और आर्थिक विकास के लाभ काफी हद तक शहरी क्षेत्रों महसूस किये गए हैं | इसलिए आर्थिक स्थितियों में सुधार की आवश्यकता है | हमें ग्रामीण क्षेत्र का शुद्ध वातावरण अक्षुण्ण रखते हुए उनमे संपनता, सुविधा तथा आधार-तंत्र के उच्च स्तर के लिए प्रयास करना चाहिये |
    इसलिए 2025 तक विकसित समाज के स्वप्न के मध्येनजर भारत के समाजिक तथा आर्थिक रूपांतरण के लिए हमारी प्रमुख रणनीति सबसे रचनात्मक तथा कम लागत वाले तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएँ उपलब्ध करने के लिए केन्द्रित होनी चाहिए | यह हमारे देश के लिए एक चुनौती है और इसके लिए ज्ञान, विशेषज्ञता, व्यावसायिक दूरदर्शिता तथा प्रबंधन कौशल के क्षेत्र में केवल भारत की सीमाओं के अंदर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फैले हमारे विशाल भारतीय परिवार के योगदान की आवश्यकता होगी, ताकि सुविचारित मिशनों, रणनितियों, लक्ष्य और नीतियों द्वारा एक समकालिक आर्थिक क्रान्ति स्त्थापित की जा सके |
   भारत को कृषि प्रधान कहा गया है आप खुद भी जानते है सारणी भी देख सकते है लेकिन खाध्य की खपत दुगुनी होने से कृषि योग्य भूमि और भी कम हो गयी है | भारत को कम भूमि, कम पानी के साथ केवल प्रोधोगिकी और कृषि प्रबंधन द्वारा उत्पादन को दुगुना करना होगा |

देश
कृषि
उधोग
सेवाएं
भारत
25
27
48
चीन
15
52
33
अमेरिका
2
27
71
जर्मनी
1
31
68
जापान
2
38
60

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