समन्वित प्रयास के लिए भारत की केंद्रीय
क्षमता पर आधारित पांच क्षेत्रों को पहचान गया है
1. कृषि तथा कृषि – खाध्य प्रसंस्करण –
प्रति वर्ष 360 मिलियन टन ( 36 करोड़ टन ) खाद्य तथा कृषि उत्पादन का लक्ष्य रखा
गया है | कृषि तथा कृषि – खाद्य संशाधन ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली ला सकता
है और आर्थिक विकास को तेज कर सकता है |
2.
शिक्षा तथा स्वास्थ्य – अनुभव सिद्ध करता है की
शिक्षा तथा स्वास्थ्य दोनों अन्तर्सब्द हैं और स्वास्थ्य जीवन तथा जनसंख्या
नियंत्रण में मदद करते हैं जिससे सामाजिक सुरक्षा प्राप्त होती है |
3. सुचना तथा संचार प्रोधोगिकी – सुदूर क्षेत्रों में शिक्षा को प्रोत्साहित करने तथा राष्ट्रीय संपन्नता
हासिल करने के लिए इस क्षेत्र का लाभ उठाया जा सकता है |
4. बिजली सहित आधारभूत तंत्र – सम्पूर्ण
विकास, देश के सभी भागों के लिए भरोसेमंद तथा अच्छी विधुत शक्ती लिए महत्वपूर्ण है
|
5. सामरिक महत्व के उधोग तथा महत्वपूर्ण
प्रोधोगिकी – सौभाग्यवश इस क्षेत्र में परमाणु, अन्तरिक्ष तथा रक्षा
प्रोधोगिकीयों में प्रगति देखने को मिली | इन केंद्रीय क्षेत्र में विकास का अर्थव्यवस्था
के अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ता है |
हमारा प्राचीन ज्ञान एक अनूठा संसाधन है,
क्योंकि उसमे लगभग पांच हजार वर्षों की सभ्यता का भण्डार है | राष्ट्रीय कल्याण
तथा विश्व के मानचित्र पर देश के लिए एक सही स्थान बनाने के लिए इस सम्पदा का लाभ
उठान जरुरी है |
जन संसाधन, विशेषकर
युवाओं की विशाल जनसंख्या, देश की अनूठी
केंद्रीय शक्ति है विभिन्न शैक्षणिक तथा प्रसिक्षण कार्यक्रमों द्वारा इस संसाधन
को मजबूत किया जा सकता है